Tuesday, April 13, 2021

8 तरावीह Quraan aur sahi Hadees

रमजान में कियाम यानी तरावीह पढ़ने की फजीलत का बयान..👇

अबू हुरैरा रज़िअल्लाहु अन्हु से रिवायत है उन्होंने कहाः मैंने नबी ﷺ को रमजान की यह फजीलत बयान करते सुना कि जो शख्स भी ईमान और सवाब की नियत से रमजान में कियाम करता है उसके पिछले गुनाह बख्श दिये जाते हैं

#Sahih_Bukhari_Hadees_No_2008

अबू हुरैरा रज़िअल्लाहु अन्हु से रिवायत है उन्होंने कहाः मैंने नबी ﷺ को रमजान की यह फजीलत बयान करते सुना कि जो शख्स भी ईमान और सवाब की नियत से रमजान में कियाम करता है उसके पिछले गुनाह बख्श दिये जाते हैं

इब्ने शिहाब जहरी ने कहाः फिर नबी करीम ﷺ की वफात हो गई और लोगों का यही हाल रहा कि अकेले-अकेले और जमाअत से तरावीह पढ़ते थे इसके बाद अबू बक्र रज़िअल्लाहु अन्हु के खिलाफत के जमाने में और उमर रज़िअल्लाहु अन्हु के खिलाफत के सुरुआत में ऐसा ही होता रहा

#Sahih_Bukhari_Hadees_No_2009

अब्दुर्रहमान अब्दुल कारी बयान करते हैं कि मैं एक मर्तबा उमर बिन खत्ताब रज़िअल्लाहु अन्हु के साथ रमजान की एक रात को मस्जिद में गया तो लोगों को अलग-अलग नमाज पढ़ते हुये देखा। कहीं कोई अकेला पढ़ रहा है तो कुछ लोग किसी के पीछे पढ़ रहे है यह हालत देखकर उमर रज़िअल्लाहु अन्हु ने कहाः अगर मैं इन सब लोगों को एक कारी के पीछे जमाकर दूँ तो यह ज्यादा बेहतर होगा चुनान्चे उन्होंने पक्का इरादा कर के सबको उबय्यि बिन कअब रज़िअल्लाहु अन्हु के पीछे इकट्ठा कर दिया फिर मैं उनके साथ दूसरी रात गया तो क्या देखा कि लोग अपने कारी के पीछे नमाज़ पढ़ रहे हैं
उमर रज़िअल्लाहु अन्हु ने यह देखकर कहाः यह नया तरीका बेहतर और उचित है और रात का वह हिस्सा जिसमें यह लोग सो जाते हैं उस हिस्सा से बेहतर और अफजल है जिसमें यह नमाज पढ़ते है । उमर रज़िअल्लाहु अन्हु की मुराद रात के आखिरी पहर की फजीलत से थी क्योंकि लोग यह नमाज़ रात के सुरुआत ही में पढ़ लेते थे

#Sahih_Bukhari_Hadees_No_2010

आयशा सिद्दीका रज़िअल्लाहु अन्हा से रिवायत है कि नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम एक बार रमजान में आधी रात को निकले और मस्जिद में जाकर नमाज़ पढ़ी और चंद सहाबा ने भी आपके पीछे नमाज़ पढ़ी सुबह को सहाबा ने जब एक दूसरे से इसका जिक्र किया तो दूसरी रात को लोग पहले से अधिक जमा हो गये और आपके साथ नमाज़ पढ़ी दूसरी सुबह को लोगों ने और अधिक जिक्र किया तो तीसरी रात और भी अधिक लोग जमा हो गये उस रात भी आपने नमाज़ पढ़ी और लोगों ने भी आपके साथ नमाज़ पढ़ी और चौथी रात को तो मस्जिद नमाजियों से तंग हो गई लेकिन उस रात आप ﷺ बाहर ही नहीं निकले बल्कि सुबह को फज़्र की नमाज़ के लिए निकले और फज्र की नमाज अदा करने के बाद लोगों की तरफ मुंह कर के त-शहहुद पढ़ा और फरमाया: अम्मा बाद !

मुझे इस बात की जानकारी थी कि आप लोग इकट्ठा है लेकिन मुझे इस बात का डर हुआ कि कहीं यह नमाज़ आप लोगों पर फर्ज़ न कर दी जाये और आप हजरात इसके अदा करने से आजिज़ हो जाये इसलिए मैं मस्जिद में आकर आप लोगों की इमामत नहीं कराई और अकेले ही घर में पढ़ ली

चुनान्चे आपके इंतकाल के बाद भी यही हालत बाकी रही

#Sahih_Bukhari_Hadees_No_2012

अबू सलमा बिन अब्दुर्रहमान रज़िअल्लाहु ने आयशा रज़िअल्लाहु अन्हा से पूछा कि नबी ﷺ रमजान में कितनी रकअतें पढ़ते थे ? उन्होने कहाः रमजान हो या कोई और महीना आप ﷺ ग्यारह रकअतो से अधिक नहीं पढ़ते!

पहले चार रकअतें पढ़ते थे उनकी खूबी और लंबाई का हाल मत पूछो फिर चार रकअतें उनकी खूबी और लंबाई का हाल मत पूछो। फिर तीन रकअतें पढ़ते थे?

मैंने एक बार आप ﷺ से पूछा ऐ अल्लाह के रसूल क्या आप वित्र पढ़ने से पहले सो जाते है ? आप ﷺ ने फरमाया आखें तो सो जाती है मगर दिल नहीं सोता

#Sahih_Bukhari_Hadees_No_2013

No comments:

Post a Comment