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“रसूल तुम्हें जो कुछ दें , उसे ले लो और जिस चीज़ से तुम्हें रोकें उससे रुक जाओ और अल्लाह का डर रखो ”
(अल हश्र 7)
“ऐ लोगो जो ईमान लाये हो अल्लाह की अता ’अत करो , रसूल सलअल्लाहू अलैही वसल्लम की अता ’अत करो और अपने आमाल बर्बाद न करो "
(सुरह: मुहम्मद , आयात -३३)
“ऐ लोगो जो ईमान लाये हो! अल्लाह और उसके रसूल से आगे न बढ़ो|”
(सूरह हुजरात 49/1)
“और तुम सब के सब (मिलकर) अल्लाह की रस्सी मज़बूती से थामे रहो और आपस में (एक दूसरे के) फूट ना डालो।”
(सूरह आलि इमरान 3:103)\
कुरआन मे फरमाता है कि- "अल्लाह और उसके रसूल का हुक्म मानो।"
(सूरः आले इम्रान 32)
“अगर तुममे इख़्तिलाफ हो तो फिर अल्लाह और उसके रसूल की तरफ रूज़ु करो।"
(सूरः निसा 59)
"खुदा को छोड़कर अपने आलिमों और मशाइख़(बुज़ुर्गों)को अपना खुदाबना लिया।”
"(सूरः तौबा 31)
"इल्मेहक़ आ जाने के बावजूद ये लोग ज़िद की वजह से गिरहो दर गिरोह होते जा रहे है।”
(सूरः शूरा 14 पारा 25)
अल्लाह का फरमान है “ किसी ऐसी चीज की पैरवी ना करो {यानि उसके पीछे न चलो, उसकी इत्तेबा ना करो }जिसका तुम्हें इल्म ना हो, यकीनन तुम्हारे कान, आँख, दिमाग {की कुव्वत जो अल्लाह ने तुमको अता की है } इसके बारे में तुमसे पूछताछ की जाएगी”
{सूरह बनी इस्राईल 17, आयत 36}
{सूरह बनी इस्राईल 17, आयत 36}
नबी सल्ल० ने फ़रमाया “इल्म सीखना हर मुसलमान मर्द-औरत पर फ़र्ज़ है”
{इब्ने माजा हदीस न० 224 }
{इब्ने माजा हदीस न० 224 }
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